✒️ भ्रांतियां छोड़ें, शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है यह त्वचा रोग
✒️ यह है एकमात्र निदान
हाथ की हथेलियों, मुंह में, गर्दन के पीछे, कोहनियों पर, पीठ पर क्या आप खुजलाते-खुजलाते परेशान हैं। लाल-सफेद चक्कत्ते पड़ जाते हैं। ज्यादा खुजलाने पर खून तक निकल आता है। खुजली आपको रात को सोने नहीं देती। कोई दवा असर नहीं कर रही। तो, सावधान हो जाइये यह भयंकर त्वचा रोग सोरायसिस (Psoriasis) हो सकता है।
तमाम चिकित्सकों की राय के अनुसार आम तौर पर सोरायसिस कोई जानलेवा रोग तो नहीं, लेकिन बहुत परेशान करने वाला है। यह आपका ना केवल रूप-सौंदर्य हर लेता है, बल्कि एक स्थायी तनाव देता है। समान्य तौर पर खुजली किसी भी कारण से हो सकती है। यह क्षणिक हो तो कोई चिंता नहीं, लेकिन यदि ऐसी हो जाये कि खुजलाते हुए चमड़ी की पपड़ी निकल जाये, खून आने पर भी खुजलाने की इच्छा शांत न हो तो यह गंभीर और लाइलाज रोग सोराइसिस हो सकता है।
वैसे तो इस त्वचा रोग के उपचार के लिए लाखों दावे विभिन्न चिकित्सा प्रणाली में किए जाते हैं। एलोपैथिक चिकित्सक साफ तौर पर कहते हैं कि इसका कोई स्थायी उपचार नहीं। यह कंट्रोल हो सकता है पर कभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं होता। बावजूद इसके आयुर्वेदिक, यूनानी, प्राकृतिक, होम्यापैथी, इलेक्ट्रो होम्योपैथी इसका स्थायी समाधान का दावा करती है। इस रोग से पीडित व्यक्ति ही इसका दर्द समझ सकता है। हकीकत तो यह है कि आज तक कोई भी चिकित्सा पद्वति सोरायसिस का शत-प्रतिशत समाधान नहीं कर पाई है। हां, यह बात अलग है कि यह कुछ समय के लिए चिकित्सा के बाद ऐसे गायब हो जाता है कि लगता है कि अब रोग समाप्त हो गया। पर जरा सी असावधानी के बाद यह पुन: जागृत हो जाता है।
मिसाल के तौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली पर नजर डालें। यहां कुछ बहु प्रचारित संस्थानों द्वारा दावा किया जाता है वह सोराइसिस को जड़ से समाप्त कर देते हैं, लेकिन हकीकत तो यह है कि तमाम तरह के परहेज करा और आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करा वह इस रोग को कुछ समय के लिए गायब जरूर कर देते हैं, लेकिन जैसे ही रोगी पुन: विरूद्ध आहार का सेवन करता है तो यह पुन: जागृत हो जाता है। आयुर्वेद कहता है कि रोग समाप्त हो सकता है, बशर्ते संबंधित व्यक्ति को जीवन भर कुछ खाद्य पदार्थों का परहेज और जीवन शैली में परिवर्तन करना होगा।
तमाम रिचर्च यही कहती है कि सोरायसिस भले ही कितना गंभीर रोग हो, लेकिन इसका एकमात्र उपाय परहेज है। यह परहेज भी एक दिन, एक माह, एक साल का नहीं बल्कि जीवन भर का है। यानी यदि किसी को यह रोग है तो उसे कुछ पदार्थों के सेवन से जीवन भर परहेज करना होगा। अपनी जीवन शैली ही बदलनी होगी।
संक्षेप में जान लें तो कि कोई आहार यदि 80 प्रतिशत लोगों को ऊर्जा प्रदान करता है तो सोरायसिस के मरीज के लिए यह अभिषाप होगा। उसे जीवन पर्यन्त उन आहारों का सेवन नहीं करना होगा, जो अमूमन 80 प्रतिशत लोग करते हैं। सीधे कहें तो सोराइसिस का बस एक ही उपचार है और वह है ‘त्याग’। जो आहार आपकी बीमारी को प्रकट करते हैं उनका आपको ताउम्र त्याग करना ही होगा। अन्यथा कोई निदान नहीं है।
यहां हम जानने का प्रयास करत हैं कि सोरायसिस क्या है और शरीर के किन-किन अंगों में हो सकता है। त्वचा में अगर लाल, परतदार और पपड़ी युक्त धब्बे दिखाई दें, जो कि सफ़ेद पपड़ी युक्त हों तो वह सोरायसिस हो सकता है। ऐसा धब्बा सामान्यत: कोहनी, घुटने, खोपड़ी और पीठ के निचले हिस्से पर प्रकट हो जाता है। हलांकि यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
क्यों हो जाता है यह सोरायसिस –
वस्तुत: सोरायसिस को लेकर आज तक चिकित्सक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं। हालांकि इसका सबसे अहम कारण विरूद्ध आहार लेना, अकसर तनाव में रहना, अनियमित दिनचर्या जीना और कुछ ऐसी दवाओं का सेवन करना जिसका साइड एफेक्ट शरीर पर पड़ता है मुख्य हैं। रिचर्स में पाया गया है कि किडनी व लीवर के कमजोर पड़ने पर भी यह रोग पैदा हो जाता है। इसके अलावा सैक्स वर्धक दवाओं जैसे वियाग्रा के अधिक सेवन से भी यह रोग हो सकता है। ज्यादा शराब-तंबाकू का सेवन करने वालों पर भी यह रोग प्रभावी होता देखा गया है।
वेद में कहा गया है कि ‘अति-अति सर्व वर्जितम’, यानी जरूरत से ज्यादा किसी भी पदार्थ का सेवन रोगों का कारण बन सकता है। यदि आप सामान्य से अधिक नमक, घीं-तेल, मीठे, मिर्च आदि का सेवन करते हैं तो यह एक प्रतिबंधित आहार हो सकता है। यदि आप रात भर जागते हैं, सुबह सोते रहते हैं, लगातार तनाव में रहते हैं तो इसका प्रभाव भी सीधे तौर पर शरीर पर पड़ता है। ऐसा करना आटो एम्यून डिस आर्डर को जन्म देता है। यह आटो इम्यून डिसआर्डर कोई रोग नहीं, बल्कि रोग का कारण है। आपका शरीर इतना अनियंत्रित हो जाता है कि इसे मालूम ही नहीं पड़ता कि आपको कब सोना है, कब जागना है, कितना तनाव झेलना है, कितना और कैसा भोजन करना है। आपके शरीर के सैल्स आपके पोषक सैल्स को अपना दुश्मन समझने लगत हैं और किसी बाहरी रोग से लड़ने की बजाए स्वयं अपने ही साथियों को मारना शुरू कर देते हैं तो यह आटो इम्यून डिसआर्डर की श्रेणी में आ जाता है।
सोरायसिस के प्रकार –
सोरायसिस कई तरह का होता है और इसे लक्षणों को आधार पर समझा जा सकता है –
- चकत्ते वाला सोरायसिस (Plaque psoriasis) : यह सोरायसिस का सबसे आम प्रकार हे। इसमें त्वचा उभरी हुई दिखेगी। सिलवर कलर के पैच पड़ जायेंगे। यह ज्यादातर कोहनी, घुटनों, पीठ के निचले हिस्से और खोपड़ी, गर्दन और हथेली पर दिखाई देता है।
- नाखून सोरायसिस (Nail psoriasis) : इसका प्रभाव नाखूनों और पैर की उंगलियों पर पड़ता है। नाखून ढीले हो जाते हैं, उखड़ने लगते हैं और काफी भद्दे दिखाई देते हैं।
- गुटेट सोरायसिस (Guttate psoriasis) : यह ज्यादातर वयस्कों और बच्चों में होता है। बैक्टीरिया के संक्रमण से इसकी शुरूआत होती है।
- उलटा सोरायसिस (Inverse psoriasis) : उलटा सोरायसिस मुख्य रूप से कमर, नितंबों और स्तनों की त्वचा की परतों को प्रभावित करता है। यह सूजन वाली त्वचा के चिकने पैच का कारण बनता है जो घर्षण और पसीने से खराब हो जाता है। फंगल संक्रमण इस प्रकार के सोरायसिस को ट्रिगर कर सकता है।
- पस्टुलर सोरायसिस (Pustular psoriasis) : पस्टुलर सोरायसिस अकसर मवाद से भरे फफोले का कारण बनता है। यह व्यापक पैच या हथेलियों या तलवों के छोटे क्षेत्रों में हो सकता है।
- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस (Erythrodermic psoriasis) : यह एक दुर्लभ किस्म का सोरायसिस है। जो पूरे शरीर को छोटे-छोटे दानों से ढक देते हैं। जिसनमें तीव्र खुजली हो सकती है। यह अल्पकालिक भी हो सकता है और दीर्घकालिक भी।
सोरायसिस को काबू में करने के कुछ सामान्य उपाय –
✒️ दिनचर्या बदलें : रात को समय से सोकर सुबह जल्दी उठें। सुबह-शाम कसरत करना अनिवार्य है।
✒️ आहर में सावधानी : तले-भुने पदार्थ, मीड-अंडा, अरबी, आलू, खट्टा, दही, आचार, टमाटर, नींबू, दूध व दुग्ध पदर्थ, आइसक्रीम, क्रीम आदि का परहेज लगभग सभी आयुर्वेदिक चिकित्सक बताते हैं। इसके अलावा नमक का कम से कम प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
✒️ शराब-तंबाकू छोड़ें : सभी चिकित्सा प्रणाली में सोरायसिस मरीजों को शराब और तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन छोड़ने की सलाह दी जाती है।
✒️ त्वचा को नरम रखें : देखा गया है कि शुष्क त्वचा पर रोग अपना असर दिखाने लगता है। अतएव चिकित्सक सोरायसिस मरीजों को हमेशा त्वचा में कोई अच्छी क्रीम या तेल लगाने की सलाह देते हैं। वैसे नारियल के तेल में यदि कपूर पीस कर मिलाया जाये तो इसका इस्तेमाल बेहतर रहता है। हालांकि, किसी भी मेडिकल स्टोर से आपको काफी सारे क्रीम भी मिल जायेंगे।
✒️ तनाव मुक्त रहें : परीक्षणों में पाया गया है कि जब कोई व्यक्ति तनाव में रहता है तो उसमें रोग बढ़ने लगता है। अतएव सोरायसिस के मरीजों को तनाव मुक्त जीवन जीना चाहिए।
विशेष – उक्त आलेख तमाम आर्युवेदिक व अन्य चिकित्सा पद्वति के गहन अध्ययन के बाद लिखा गया है। फिर भी पाठकों से आग्रह है कि यदि आप इस रोग से पीडित हैं तो किसी योग्य चिकित्सक से संपर्क करें।