स्वामी प्रेमानंद महाराज की शिक्षा
प्रेमानंद महाराज की शिक्षा : आज के दौर में दावत आदि में मांस खाने—खिलाने की परंपरा आम बन चुकी है। किसी का जन्मदिन हो, शादी हो या फिर कोई भी खुशी का अवसर। अकसर लोग मीट की दावत रख देते हैं। इस विषय में महान संत प्रेमानंद जी महाराज का स्पष्ट कहना है कि मीट खाने, बेचने और काटने वाले तीनों को एक समान दंड मिलता है।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि मांस बेचना, मांस खाना और पशु की हत्या करने वाले, तीनों को बराबर दंड मिलता है। अगर आप मीट खा रहे हैं तो आप उसका साथ दे रहे है, जो उस पशु को काट रहा है। आप यदि मीट बेच रहे हैं तो भी आप उसका साथ दे रहें जो उस जानवर की हत्या करता है।
शास्त्र का विधान यह है कि ऐसे तीनों लोगों को बराबर का दंड मिलता है। अनुमोदक, कर्ता और प्रेरक तीनों को बराबर हिस्सा मिलता है चाहिए वो पुण्य का हो या पाप कर्म का। मीट खाने वाला, बेचने वाला और काटने वाला तीनों को एक बराबर दंड दिया जाता है। आप मीट खाना बंद कर देते हैं, तो कोई जानवर को मारेगा ही नहीं। यदि आप सहयोग न दें तो जानवरों की हत्या करने वाले का उत्साहवर्धन नहीं हो पायेगा।