आधुनिकता की इस चकाचौंध में खत्म हो रहे मानवीय रिश्ते
आधुनिकता की इस चकाचौंध में खत्म हो रहे मानवीय रिश्ते

विश्वव्यापी रूप से आधुनिकता ने अपना प्रभाव दिखाया है। इससे न केवल हमारी दैनिक जीवनशैली में बदलाव हुआ है, बल्कि मानवीय रिश्तों को भी प्रभावित किया है। आधुनिकता ने हमें नई सुविधाएं और अवसर दिए हैं, लेकिन अपनी चकाचौंध में मानवीय रिश्तों को खत्म भी करना शुरू कर दिया है। सही मायने में हमारी आदतों, सोच और संवेदनाओं को भी बदल डाला है।

कहां खो रही मानवीय रिश्तों की मूल जड़ें

इस नई युग की बदौलत, मानवीय रिश्तों की मूल जड़ें कहीं ना कहीं खो रही हैं। एक समय था जब परिवार, मित्र और समुदाय हमारे जीवन के आवश्यक तत्व थे। उनके बिना हमारा जीवन अधूरा समझा जाता था। परंतु आज, जीवन की तेज गति ने हमें इतना व्यस्त कर दिया है कि हमारे पास इन अनमोल रिश्तों को निभाने का समय ही नहीं रहता।

सोशल मीडिया ने बढ़ाई दूरियां

सोशल मीडिया और तकनीकी उन्नति ने तो दूसरे लोगों से जुड़ने के नए तरीके प्रस्तुत किए हैं, लेकिन वे मानवीय संपर्क की गहराई और संपूर्णता पर खरे नहीं उतरते। इसके परिणामस्वरूप, हमारे बीच दूरियां बढ़ रही हैं। हम एक-दूसरे के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। इस प्रक्रिया में हमारे मानवीय रिश्ते कहीं ना कहीं खो रहे हैं।

समय और महत्व देना सीखना होगा

हमें यह समझना होगा कि हम यदि अपने रिश्तों को सही मायनों में कायम करना चाहते हैं तो हमें उन्हें समय और महत्व देना होगा। आखिरकार, यही है जो हमें मानव बनाता है। हमारे रिश्ते, हमारी क्षमता दूसरों से जुड़ने की, हमारी सहानुभूति और हमारा प्यार। आधुनिकता ने शायद हमें नए आयाम दिखाए हों, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि उन्हीं मानवीय रिश्तों और मूल्यों के आधार पर हमने यह सभी प्रगति हासिल की है।

आधुनिकता के चक्रव्यूह के प्रभाव :

व्यक्तिगत संबंधों की कमी: इंटरनेट और सोशल मीडिया के उपयोग से व्यक्तिगत संबंधों में कमी आई है। व्यस्त जीवनशैली और दूरसंचार के माध्यम से लोग अपनों से बहुत समय तक अलग हो जाते हैं। जिससे वे पारिवारिक और मित्रता संबंधों को नजरअंदाज कर सकते हैं।

सोशल मीडिया का दायरा: सोशल मीडिया के चक्कर में अधिकांश लोग अपने व्यक्तिगत समय का उपयोग करने में व्यस्त रहते हैं, जिससे वे अपने आसपास के लोगों से दूर हो जाते हैं। वास्तविक जीवन में होने वाली गतिविधियों के समय की कमी और सोशल मीडिया पर होने वाले अभाव संबंधों को कमजोर कर सकते हैं।

भावनात्मक सम्पर्कों में कमी: सोशल मीडिया पर हम अपने भावनाओं को एमोजी और इमोशन के साथ व्यक्त नहीं कर पाते हैं, जिससे व्यक्तिगत संबंधों में स्पष्टता नहीं आती है। व्यक्तिगत संपर्क करने की यह क्षमता लगातार कम हो रही है। जो संबंधों को भावनात्मक रूप से कमजोर बना सकता है।

ऑनलाइन डेटिंग की बढ़ती प्रवृत्ति: आधुनिकता के चक्रव्यूह में ऑनलाइन डेटिंग की बढ़ती प्रवृत्ति भी है। यह लोगों में वास्तविक जीवन में साथी ढूंढने के लिए क्षमता खत्म होने का सबसे बड़ा प्रमाण है। ऑनलाइन डेटिंग के साथ आए चुनौतियों भी हैं, जैसे फर्जी प्रोफाइल, असत्य जानकारी, अयोग्य संबंध, आदि। अंजान लोगों से दोस्ती और वास्तविक जीवन के मित्रों से दूरी कायम करने के लिए यही प्रवृत्ति जिम्मेदार है।

समाधान:

इस समस्या का समाधान है कि हमें आधुनिकता के फायदे का सही उपयोग करना आवश्यक है और व्यक्तिगत संबंधों को भी महत्व देना होगा। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

संतुलित उपयोग: इंटरनेट, सोशल मीडिया और तकनीकी उन्नति को संतुलित रूप से उपयोग करें। उन्हें अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए उपयोग करें, लेकिन उनसे दूर रहकर व्यक्तिगत समय भी बिताएं।

साथी ढूंढें: अपने वास्तविक जीवन में भी साथी ढूंढने के लिए प्रयास करें। वास्तविक जीवन में साथी से संबंध बनाने का अनुभव अधिक रोमांचक और भरपूर होता है।

वास्तविक संपर्क को पसंद करें: जब भी संभव हो, वास्तविक संपर्क को बढ़ावा दें। व्यक्तिगत भेंटचीत में भावनाओं को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है और संबंध मजबूत होते हैं।

समय व्यवस्था करें: अपने समय का ठीक से व्यवस्था करें और उसे व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत बनाने में खर्च करें। समय के साथ व्यक्तिगत संबंध भी विशेष और महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

संसार को आधुनिकता के फायदे का सही उपयोग करके और व्यक्तिगत संबंधों को महत्व देकर हम अपने जीवन को समृद्ध, समृद्ध और संतुष्ट बना सकते हैं। आधुनिकता के चक्रव्यूह के बीच खो रहे मानवीय रिश्तों को पुनः स्थापित करने में हम सभी की भूमिका है।

प्रसंगवश : बही प्रगति की बयार, दिल्ली से अल्मोड़ा तक बदल गया सब कुछ